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ज्योतिषाचार्य जीतेन्द्र मोहन

ज्योतिषाचार्य जीतेन्द्र 'मोहन'

  • ज्योतिष रत्न
  • ज्योतिष भानु
  • वास्तु आचार्य
  • ज्योतिष मार्तण्ड
  • इंटर नेशनल एस्ट्रोलॉजी फेडरेशन द्वारा 'ज्योतिष गौरव' सम्मान से सम्मानित।
Nakshatra Square

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NAKSHATRA SQUARE

A HOUSE OF ASTROLOGY

  • कुण्डली वास्तु एवं हस्तरेखा
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रुद्राक्ष के बारे में

रुद्राक्ष एक ऐसा बीज है जिसे धारण करने से मानसिक शांति, नवग्रह शांति और अचानक आने वाली मुसीबतो से छुटकारा मिलता है। कोई इसे आध्यात्मिक लाभ के लिए धारण करना चाहता है, तो कोई आध्यात्मिक लाभ के लिए। कोई इसे शिवजी का आभूषण समझ धारण करता है, तो कोई इससे जुड़े वैज्ञानिक लाभ के लिए। रुद्राक्ष न केवल भगवान शिव का प्रतीक है बल्कि अपने-आप में एक ऊर्जा का स्रोत है जो धारक को कई मायनों में सकारात्मक परिणाम देता है लेकिन मन में बार-बार ये सवाल कौंधता है कि आखिर रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई कैसे और यह भगवान शिव से कैसे जुड़ा हुआ है...

रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई?

वैसे तो रुद्राक्ष एक पेड़ का फल है और इसलिए यह आपको सुलभता से मिल जाता है लेकिन इसके अस्तित्व में आने से जुड़ी कई कहानियां हैं। रुद्राक्ष दो शब्दों से बना है 'रुद्र' यानि भगवान शिव और 'अक्षि' यानि आंख। एक कथा के अनुसार, जब महादेव की पत्नी सती ने स्वयं को हवन कुंड में समाहित कर दिया था, तो भगवान शिव ने रौद्र रूप धारण कर सती का शव कंधे पर उठाकर ताडंव करने लगे जिससे ब्रह्मांड का विनाश शुरु हो गया। शिव जी को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के कई टुकड़े किए जो धरती के अलग-अलग हिस्सों में गिरा। अंत में भगवान शिव के शरीर पर सिर्फ सती के शरीर का भस्म रह गया था जिसे देखकर वह रो पड़े और उसी समय उनके उन आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई।

भगवान शिव ने रुद्राक्ष धारण क्यों किया?

इससे जुड़ी भी एक और कथा है जिसके अनुसार, एक बार देवों और दानवों के बीच भीषण युद्ध के दौरान जब असुर विजयी होने लगे, तो देवताओं की दुर्दशा देख भगवान शिव ने करुणावश एक आंसू बहाया, जो रुद्राक्ष के पेड़ में बदल गया। फिर उन्होंने देवताओं को रुद्राक्ष की मालाएँ दीं, जिसने उन्हें असुरों पर विजय पाने के लिए सुरक्षा, शक्ति और साहस प्रदान किया।

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान शिव के हजारों वर्षों तक गहन ध्यान किया जिसमें उनका पूरा शरीर शून्य में पहुंच गया था और जब उन्होंने अपनी आँखें खोलीं, तो खुशी के आँसू ज़मीन पर गिरे, जिससे रुद्राक्ष के पेड़ और उसके पवित्र बीजों का जन्म हुआ। इसलिए रुद्राक्ष को भगवान शिव की असीम करुणा का प्रतीक भी माना जाता है।

रुद्राक्ष से मिलने वाले आध्यात्मिक लाभ

  1. ध्यान और मंत्र जाप: रुद्राक्ष भगवान शिव जैसे योगी से जुड़ा है। इसलिए यह गहरा ध्यान लगाने में बहुत मदद करता है। कई लोग रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल ध्यान के दौरान अथवा मंत्र जान के दौरान करते हैं। रुद्राक्ष न केवल मन को शांत और फोकस्ड रखता है बल्कि यह आपकी आंतरिक ऊर्जा से आपको जोड़ने में मदद भी करता है।
  2. चक्र जागरण: रुद्राक्ष शरीर में मौजूद चक्रों के जागरण और उसकी ऊर्जा के संतुलन में भी मदद करता है।
  3. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जाओं के लिए एक ढ़ाल के समान काम करता है। यह दैवीय रक्षक की तरह काम करता है जो सकारात्मक ऊर्जाओं को आपसे दूर नहीं जाने देता और नकारात्मक ऊर्जाओं को आपके पास नहीं आने देता। यह आपकी आभा को भी सुरक्षित रखता है।
  4. आध्यात्मिक जागरण: कहते हैं कि रुद्राक्ष आपकी थर्ड आई से भी जुड़ा है जो आपके आध्यात्मिक जागरण, इंट्यूशन और स्पष्टता इत्यादि को बढ़ाने में भी मदद करता है।
  5. मूलाधार चक्र: रुद्राक्ष मूलाधार चक्र से भी जुड़ा है जिससे आपमें स्थायित्व, सुरक्षा और खुद से जुड़े होने की भावना आती है।

क्या महिलायें रुद्राक्ष धारण कर सकती हैं?

स्त्रियां रुद्राक्ष धारण कर सकती हैं या नहीं, इस बात को लेकर मतभेद अवश्य है लेकिन अधिकतर जानकारों और गुरुओं ने स्त्रियों को रुद्राक्ष धारण करने के लिए मना नहीं किया है। पौराणिक कहानियों के अनुसार, माता शक्ति (पार्वती) ने भी रुद्राक्ष धारण किया हुआ है जो स्त्रियों को रुद्राक्ष धारण न करने की बात को गलत साबित करता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि रुद्राक्ष में कई औषधीय गुण होते हैं जो महिलाओं को लाभ पहुंचा सकते हैं। रुद्राक्ष न केवल उनकी मानसिक परेशानियों को कम करेगा बल्कि उनके हार्मोनल आसन्तुलन्, शरीर दर्द और अन्य भावनात्मक परेशानियों में भी लाभ पहुंचायेगा। महिलाओं को पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने की सलाह दी जाती है जो उनके और बच्चों दोनों के लिए सुरक्षित होता है। इसके अलावा दो मुखी, 6 मुखी, 7 मुखी, 9 मुखी, 17 मुखी और 18 मुखी रुद्राक्ष भी वो धारण कर सकती हैं।

रुद्राक्ष सिद्ध करने की विधि

यदि जाप माला सिद्ध करनी हो तो पंचामृत में डुबोएं, फिर साफ पानी से उसे अच्छी तरह धो लें। ध्यान रहे कि हर मणि पर ईशानः सर्वभूतानां मंत्र 10 बार बोलें। यह शिव माला नियम के अनुसार ही किसी भी रुद्राक्ष को धारण किया जाना चाहिए।

मेरू मणि पर स्पर्श करते हुए 'ऊं अघोरे भो त्र्यंबकम्' मंत्र का जाप करें और अगर एक ही रुद्राक्ष सिद्ध करना हो तो पहले उसे पंचामृत से स्नान कराएं। बाद में उसकी षोडशोपचार विधान से पूजा-अर्चना करें, फिर उसे चांदी के डिब्बे में रखें। ध्यान रहे कि उस पर प्रतिदिन या महीने में एक बार इत्र की दो बूंदें अवश्य डालें। इस तरह से किसी रुद्राक्ष की जाप माला या किसी एक रुद्राक्ष को सिद्ध किया जा सकता है।

राशि के अनुसार रुद्राक्ष

मेष

मेष राशि वालों को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

वृष

वृष राशि वालों के लिए छः मुखी रुद्राक्ष धारण करना अच्छा रहता है।

मिथुन

मिथुन राशि वालों के लिए चार मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी है।

कर्क

कर्क राशि वालों को दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

सिंह

सिंह राशि के जातकों को 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

कन्या

कन्या राशि वालों को चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

तुला

तुला राशि वालों के आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करना अच्छा माना जाता है।

वृश्चिक

वृश्चिक राशि वालों के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

धनु

धनु राशि वालों के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष सही रहता है।

मकर

मकर राशि के जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

कुम्भ

कुम्भ राशि वालों के लिए आठ मुखी रुद्राक्ष अच्छा होता है।

मीन

मीन राशि वालों को दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

स्वास्थ्य लाभ के अनुसार रुद्राक्ष

हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का आंसू माना गया है। रुद्राक्ष न केवल नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करता है बल्कि इसे धारण करने से यह मन, शरीर और स्वास्थ्य पर भी काफी अच्छा प्रभाव डालता है।

रुद्राक्ष पहनने वाले लोगों के लिए यह एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। रुद्राक्ष का असर अद्भुत होने के कारण बहुत से लोग इसे आध्यात्मिक लाभ और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के लिए पहनते हैं।

रुद्राक्ष एक मुख से लेकर 21 मुख तक के होते हैं। सभी रुद्राक्षों से मिलने वाले लाभ अलग-अलग हैं। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि आपको कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिये।

एक मुखी रुद्राक्ष

इस रुद्राक्ष में एक मुख होते हैं और दुर्लभ होने के कारण इसका असली रूप में मिलना बहुत मुश्किल होता है। कहते हैं इसे धारण करने वाले अक्सर खुद को दुनिया से अलग-थलग कर लेते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष उन लोगों को नहीं धारण करना चाहिए जिसके कई चेहरे होते हैं। अगर आप स्वास्थ्य लाभ के लिए इसे धारण कर रहे, तो यह रक्त संचार और हृदय रोग में लाभ पहुंचाता है।

दो मुखी रुद्राक्ष

दो मुखी रुद्राक्ष पेट संबंधी समस्याओं जैसे कि गैस, एसिडिटी इत्यादि में लाभ पहुंचाता है। इसके अतिरिक्त यह हिस्टीरिया, डिप्रेशन को नियंत्रित करने में भी कारगर है।

तीन मुखी रुद्राक्ष

लिवर और गाल ब्लेडर की समस्या में यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

चार मुखी रुद्राक्ष

जिन्हें किडनी, थॉयराइड, मानसिक बीमारी, कमजोर याददाश्त और हकलाकर बोलने जैसी समस्या है, उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष धारण करनी चाहिए।

पांच मुखी रुद्राक्ष

पंचमुखी रुद्राक्ष पुरुषों, महिलाओं और बच्चों यानि हर किसी के लिए अच्छा और सुरक्षित होता है। इसे धारण करने से खुशहाली और स्वास्थ्य मिलता है। यह ब्लड प्रेशर को भी कम करता है और नर्वस सिस्टम को बेहतर बनाता है।

छह मुखी रुद्राक्ष

14 साल से छोटे बच्चे छह मुखों वाला रुद्राक्ष पहन सकते हैं। यह उनके मन को शांत और एकाग्र बनाता है। इसके अलावा यह गला, गर्दन, किडनी, यौन रोग, यूरिन इंफेक्शन, आंखों की समस्या और अपच की समस्या में भी असरकारक है।

सात मुखी रुद्राक्ष

युवा पीढ़ी आजकल की दिनचर्या के चलते तनाव और डिप्रेशन से जूझ रही और अपने करियर और वर्क पर्फोर्मेंस पर ध्यान नहीं दे रही, उन्हें सात मुखी रुद्राक्ष से काफी लाभ पहुंचता है।

आठ मुखी रुद्राक्ष

जिन्हें भी नींद की समस्या है, उन्हें आठ मुखी रुद्राक्ष पहनने की सलाह दी जाती है।

नौ मुखी रुद्राक्ष

जिन्हें भी शरीर या जोड़ों में दर्द रहता है, उन्हें इसे पहनने से और इसका पानी पीने से दर्द में आराम मिलता है।

दस मुखी रुद्राक्ष

दस मुखी रूद्राक्ष में कुछ ज्यादा ही गर्माहट होती है। इसलिए जो लंबे समय से सर्दी-खांसी से परेशान हैं, उन्हें इसे धारण करने को कहा जाता है।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

शराब की लत छुड़ाने और गर्भवती महिलाओं को प्री मैच्योर डिलिवरी से बचाने के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनने को कहा जाता है।

बारह मुखी रुद्राक्ष

हृदय संबंधी रोज, सूखा रोग और ऑस्टियोपोरोसिस के रोगियों को बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

तेरह मुखी रुद्राक्ष

मांसपेशियों से संबंधित कोई रोग हो, तो तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

चौदह मुखी रुद्राक्ष

टेंशन अथवा नींद की समस्या के लिए चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

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